चिंतामण गणेश: उज्जैन का पवित्र स्वयं-भू तीर्थस्थल

चिंतामण गणेश मंदिर उज्जैन, मध्य प्रदेश में स्थित एक महत्वपूर्ण और पवित्र धार्मिक स्थल है। इस मंदिर में भगवान गणेश के तीन प्रमुख रूप — चिंतामण गणेश, इच्छामण गणेश और सिद्धिविनायक — विराजमान हैं, जो भक्तों को हर प्रकार की चिंता, इच्छा और संकल्प पूर्ति का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। मंदिर स्वयं-भू स्थल के रूप में प्रसिद्ध है, जहाँ भगवान श्रीराम और उनके भाइयों ने वनवास के दौरान पूजा-अर्चना की थी। यह स्थान ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
आने-जाने और ठहरने की सुविधा

रेलवे स्टेशन

चिंतामण गणेश मंदिर, उज्जैन रेलवे स्टेशन से करीब 8 किलोमीटर दूर है।

बस स्टेशन

उज्जैन बस स्टेशन से यह मंदिर लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।।

हवाई अड्डा

निकटतम हवाई अड्डा इंदौर है, जो यहां से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है।

ठहरने की व्यवस्था

उज्जैन में यात्रियों के ठहरने के लिए होटल, धर्मशालाएं, और अन्य सुविधाएं बड़ी संख्या में उपलब्ध हैं। हर वर्ग के यात्रियों के लिए यहां आरामदायक और किफायती व्यवस्थाएं मौजूद हैं।

चिंतामण गणेश: उज्जैन का पवित्र स्वयं-भू तीर्थस्थल

चिंतामण गणेश मंदिर उज्जैन के धार्मिक और ऐतिहासिक परंपराओं का अनमोल प्रतीक है, जहाँ कई पौराणिक कथाएँ और मान्यताएँ जुड़ी हुई हैं। ऐसी ही एक लोकप्रिय कथा के अनुसार, भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता अपने वनवास के दौरान इस स्थान पर आए थे। उस समय माता सीता को तेज प्यास लगी, और इस क्षेत्र में पानी उपलब्ध नहीं था। प्यास बुझाने के लिए लक्ष्मण ने अपनी धनुष की सहायता से तीर मारकर पृथ्वी में से पानी निकाल दिया। इस घटना के परिणामस्वरूप यहाँ एक बावड़ी का निर्माण हुआ, जिसे आज भी मंदिर के सामने देखा जा सकता है। यह बावड़ी भक्तों के लिए श्रद्धा और आस्था का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जहाँ लोग इसे पूजनीय मानकर दर्शन करते हैं।


चिंतामण गणेश मंदिर न केवल अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी धार्मिक परंपराएँ और ऐतिहासिक महत्व भी इसे विशेष बनाते हैं। मंदिर का वर्तमान स्वरूप महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा 18वीं शताब्दी में निर्मित किया गया था। मंदिर की संरचना परमार काल की उत्कृष्ट कारीगरी को दर्शाती है, जिसमें खंभों और अन्य सजावटी तत्वों पर बारीक नक्काशी देखी जा सकती है। यह कारीगरी उस युग की समृद्ध सांस्कृतिक और शिल्प कला का प्रमाण देती है।

यहां श्रद्धालु अपनी समस्याओं और चिंताओं से मुक्ति पाने के लिए आते हैं। लोग उल्टा स्वास्तिक बनाकर भगवान गणेश से अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं, और जब उनकी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं, तो वे वापस आकर सीधा स्वास्तिक बनाकर भगवान का धन्यवाद अर्पित करते हैं। मंदिर विशेष रूप से गणेश चतुर्थी, रक्षा बंधन और अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक अवसरों पर सजाया जाता है और यहां विशेष आयोजन किए जाते हैं। इस पवित्र स्थल पर आने वाले भक्त यहां की शांत और दिव्य ऊर्जा का अनुभव करते हैं और इसे अपनी आस्थाओं का केंद्र मानते हैं।

फोटो गैलरी ( Photos Gallery)

आरती का समय

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चोला आरती का समय

प्रातः 7:00 बजे

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भोग आरती का समय

संध्या 7:30 बजे

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शयन आरती का समय

रात्रि 9:30 बजे

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ब्लॉग्स (Blogs)

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